महाराष्ट्र : ओशो के प्रेम का मंदिर बाशो की जमीन बिक्री मामले में खड़ा हुआ विवाद, आज होनी है सुनवाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: दीप्ति मिश्रा Updated Thu, 25 Mar 2021 02:07 PM IST
सार
ओशो के प्रेम मंदिर बाशो की जमीन बिक्री का मामला
मुंबई चैरिटेबल कमिश्नर के यहां आज होगी सुनवाई
विस्तार
महाराष्ट्र के पुणे स्थित ओशो इंटरनेशन मेडिटेशन रिसॉर्ट की तीन एक एकड़ जमीन बेचने का मामला गरमाता ही जा रहा है। ओशो के बहन-बहनोई, कुछ अनुयायी और पूर्व ट्रस्टी ने प्रेम का मंदिर बासो को बेचे जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है। साथ ही यहां अन्य अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए जांच की माग की है। अब ये पूरा मामला मुंबई चैरिटेबल कमिश्नर के यहां पहुंच गया है, जिसकी आज सुनवाई होनी है।
इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट जिसे ओशो के प्रेम का मंदिर बाशो कहा जाता है। ओशो के तीन अनुयायी और एक पूर्व ट्रस्टी के इसकी तीन एकड़ जमीन बेचने का प्रस्ताव दिया। इसके दो प्लॉट की कीमत 107 करोड़ रुपये लगाई गई है। ओशो के अनुयायी योगेश ठक्कर ने आरोप लगाया था कि मौजूदा ट्रस्टी ने मुंबई धर्मादाय आयुक्त को एप्लिकेशन दी है कि कोरोना काल में ओशो कम्यून में साढ़े तीन करोड़ का खर्चा हुआ है। इसके साथ ही अंतराष्ट्रीय सफर पर पाबंदी होने के कारण यहां विदेशों से आने वाले लाखों अनुयायी भी नहीं आ सकते हैं, इसके लिए आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए एकमात्र उपाय जमीन बेचना ही है। इसके बाद से यह मुद्दा गरमाता जा रहा है।
अनुयायियों ने कहा, तीन करोड़ दो दान से ही आ जाएंगे
योगेश ठक्कर और नौ अन्य अनुयायियों का कहना है कि तीन करोड़ रुपये बहुत बड़ी रकम नहीं है। अगर चाहें तो दुनिया भर में ओशो के अनुयायी ये रकम महज दान देकर एकत्र कर सकते हैं। ओशो के अनुयायियों के एक समूह ओशो फ्रेंड्स फाउंडेशन ने इस बिक्री पर आपत्ति जाहिर की है और समूह ने चैरिटी कमिश्नर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
मामला मुंबई चैरिटेबल कमिश्नर के यहां पहुंचा
ओशो कम्यून के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि जमीन बेचने का निर्णय ट्रस्ट के सभी नियमों का पालन करते हुए किया गया है। अब ये मामला मुंबई चैरिटेबल कमिश्नर के यहां पहुंच गया है।ओशो के अनुयायियों की अर्जी पर मुंबई चैरिटेबल कमिश्नर के यहां आज सुनवाई होनी है।
कुछ तो करो यार ऐसे ही सारा कुछ बेच दो। उधर वसीयत भी लिखवा लिया ओशो इंटरनेशनल वालो ने ।अपना नाम भी पेटेंट करा लिया और यूट्यूब कोई ओशो के विचार फैलाता है तो चैनल बंद करा दिया जाता है।
क्या ओशो ये कह कर गए थें की मेरे मर जाने के बाद सबकुछ प्राइवेट हो जाएगा । इसमें सबसे ज्यादा भारत के लोगो को नुक्सान हो रहा है।ओशो के एक बुक खरीदने के लिए अमेज़न पर 18000 और 20000 रुपए में मिल रही है किताब। मतलब क्या है यार ऐसे कोई लूट रहा है हमको और हम है कि चुपचाप बैठे हैं। क्या ओशो ने यही बताया है। गलत हो रहा है और हम देखते रहें चुपचाप केवल। ओशो के बातें सुनना अच्छा लगता है और बहुत लोग सुनते हैं वकील ,बड़े बड़े इंजीनियर ,डॉक्टर लेकिन खुलकर जो आजकल हो रहा है ओशो के प्रॉपर्टी के साथ गलत क्या उसका विरोध करने में मुंह क्यों बंद है आज। आवाज़ उठाना होगा तभी होगा ऐसे चुप बैठे रहने से कुछ होने वाला नहीं है सारे लूट के चले जाएंगे सब। हमलोग को एकजुट होकर आवाज़ उठानी पड़ेगी चाहे हाई कोर्ट हो या सुप्रीम कोर्ट और इंटरनेट पर ट्विटर पर ट्रेंड चलाना चाहिए इसके खिलाफ ।।। केवल शुरुआत करने की बात है ।हम पता की बहुत सारे लोग खड़ा हो जाएंगे हमारे साथ ।पहले शुरुआत तो कीजिए ।ओशो ने इतनी क्रांति के बारे में बात की है क्या हमलोग केवल सुनने वाले हैं इसके अलावा जरा सी भी ताकत नहीं है हमारे अंदर की हम आवाज़ उठा सके ।और हम विश्वास के साथ कह सकते हैं ज्यादा युवा ही साथ देने वाले हैं इसमें लेकिन पहले आवाज़ उठाई जाए