ओशो फ्रेंड्स ने कोर्ट से की अपील – ओशो नाम सभी का है, किसी एक का नहीं
बॉम्बे हाई कोर्ट में ‘ओशो’ ट्रेडमार्क को लेकर सुनवाई – 16 अप्रैल 2025
ओशो फ्रेंड्स इंटरनेशनल (OFI) लगातार यह विरोध करता रहा है कि ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन (OIF), पुणे ने ‘ओशो’ नाम को अवैध तरीके से ट्रेडमार्क करवाया है। 16 अप्रैल 2025 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने OFI द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई की।
यह सुनवाई माननीय न्यायमूर्ति मनीष पिटाले के समक्ष हुई। ओशो फ्रेंड्स इंटरनेशनल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मल्होत्रा, अधिवक्ता सोनल छबलानी और दर्शन जैन (TMT Law Practice) ने पक्ष रखा।
कोर्ट को जानकारी दी गई कि OIF, पुणे और ट्रेडमार्क रजिस्ट्रार (Trademark Registrar) को आधिकारिक नोटिस भेजे जा चुके हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि इसका पुष्टि-पत्र (affidavit of service) एक सप्ताह के भीतर जमा किया जाए।
OIF, पुणे की ओर से उनके वकील पेश हुए, और उन्हें अपना लिखित जवाब देने के लिए छह हफ्तों का समय दिया गया है। उसके बाद, ओशो फ्रेंड्स को दो हफ्तों का समय मिलेगा अपना उत्तर देने के लिए।
अगली सुनवाई 30 जून 2025 को तय की गई है, और कोर्ट ने कहा है कि यह मामला प्राथमिकता के आधार पर सुना जाएगा।
यह कानूनी कार्यवाही OFI की उस निरंतर कोशिश का हिस्सा है, जिसके तहत ओशो के नाम, विरासत और दृष्टि को किसी एक संस्था द्वारा हड़पने या नियंत्रित करने से बचाया जा सके।
याद दिला दें कि ओशो फ्रेंड्स इंटरनेशनल ने सन् 2009 में अमेरिका में भी ओशो और उनके ध्यान से जुड़ी ट्रेडमार्क्स को चुनौती दी थी, जिसमें OFI को जीत मिली थी और OIF, ज़्यूरिख (Zurich) के सभी ट्रेडमार्क रद्द कर दिए गए थे।
बॉम्बे हाई कोर्ट की आगामी कार्यवाहियों की जानकारी हम आपसे समय-समय पर साझा करते रहेंगे।