ओशो की फर्जी वसीयत मामले की जांच में पुलिस नाकाम

दैनिक जागरण, नई दिल्ली
1 जनवरी 2014
कौमुदी मुर्जर (मिड डे), मुंबई आध्यात्मिक गुरु ओशो का फर्जी हस्ताक्षर करके अरबों की संपत्ति की वसीयत अपने नाम से तैयार कराने वाले जिन विदेशियों पर मुकदमा हुआ है उसकी जांच में कोरेगांव पार्क थाने की पुलिस एक माह बाद भी नाकाम है। उनके पासपोर्ट और वीजा से जुड़ी जानकारी भी अभी विदेशी पंजीयन अधिकारी (एफआरओ) को नहीं दिया है। इसका नतीजा है कि उनका ब्योरा विदेश मंत्रालय को भी नहीं मिल रहा है। शिकायतकर्ता को डर है कि इस देरी से ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसॉर्ट के छह में से तीन ट्रस्टी भारत से चले जाएगंगे और जांच बाधित होगी। योगेश ठक्कर उर्फ स्वामी प्रेमगीत ने पश्चिमी जगत में ओशो के नाम से चर्चित भगवान रजनीश का कथित रूप से फर्जी हस्ताक्षर कर वसीयत तैयार करके यूरोप की अदालत में पेश करने वाले छह ट्रस्टियों के खिलाफ कोरेगांव पार्क थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। वसीयत में उसे पूना में तैयार किया गया था ऐसा दावा है और उसके नीचे ओशो का कथित हस्ताक्षर है। विदेशी पंजीयन अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि एक माह बीत जाने के बाद भी स्थानीय पुलिस ने उन विदेशी नागरिकों के पासपोर्ट और वीजा का ब्योरा उपलब्ध नहीं कराया है जिनके खिलाफ वसीयत प्रकरण में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। कोरेगांव के पुलिस इंस्पेक्टर मुलिक ने कहा कि स्वामी मुकेश सार्दा उर्फ स्वामी मुकेश को समन भेजा है लेकिन वह इस बात का जबाव नहीं दे पाए कि एफआरओ को ब्योरा क्यों नहीं भेजा गया? यूरोपीय संघ की अदालत में सुनवाई के दौरान जब यह वसीयत पेश की गई थी तो ओशो के अनुयायियों को बड़ा धक्का लगा था। तब स्वीमी प्रेमगीत ने माइकल ब्राने उर्फ स्वामी आनंद जयेश, डीआर्की ओ बार्नें उर्फ स्वामी योगेंद्र, फिलिप टोएलकेस उर्फ प्रेम निरेन स्वामी मुकेश भारती और क्लाउस स्टीग उर्फ प्रमोद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।