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भारत में ओशो के आश्रम और बौद्धिक संपदा पर जबरन कब्जे की विदेशी साजिश

भारत में ओशो के आश्रम और बौद्धिक संपदा पर जबरन कब्जे की विदेशी साजिश

apkaakhbar.in / November 4, 2022
जो किसी भी देश में अकल्पनीय, वह भारत में हो रहा।

स्वामी चैतन्य कीर्ति।
ओशो भारत की आध्यात्मिक विरासत के अपूर्व पुरुष रहे हैं। उन्होंने पूरे विश्व में एकदम आधुनिक सरोकारों से धर्म और अध्यात्म को जोड़ा और अत्यंत लोकप्रिय हुए। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में और खासकर पश्चिमी देशों में उनके करोड़ों अनुयाई हैं। उन्होंने भारत में शरीर धारण किया और यहीं पुणे के ओशो आश्रम में समाधि ली। यह दुर्भाग्य की बात है कि चंद विदेशी अपने निहित स्वार्थों के तहत ओशो आश्रम, ओशो की बौद्धिक संपदा और आध्यात्मिक विरासत पर जबरन कब्जा कर रहे हैं।

भक्तों के चोले में विदेशी शैतान
उदहारण के लिए इसे समझें कि जर्मनी अथवा ब्रिटेन के किसी शहर में हमारे ओशो और संन्यासी मित्रों का कोई आश्रम है। हम कुछ भारतीय वहां जाकर रहते हैं, उसके संचालन और रख रखाव में अपना भरपूर सहयोग देते हैं। फिर एक समय आता है कि किसी कारण से आश्रम के पास आने वाले धन की कमी हो गयी… उसके लिए कुछ अतिरिक्त उपाय करना होगा। हम कुछ भारतीय, जो वहां नागरिक नहीं बल्कि टूरिस्ट की हैसियत से रहते हैं, वहां के समृद्ध लोगों से मिल कर उस आश्रम के एक बड़े हिस्से को बेच डालने के लिए कोई सौदा कर लेते हैं और आधी कीमत एडवांस में भी ले लेते हैं।

क्या हम ऐसा वहां कर सकेंगे? क्या उस देश का कानून हमें (भारतीय नागरिकों को) ऐसा करने देगा? क्या वहां के मूल निवासी हमें ऐसा करने देंगे? वहां के मूल निवासी और उनकी सरकार हमें पकड़ कर, वहां की ज़मीन बेचने देने की बजाय, हमें उनके देश के बाहर कर देगी और फिर कभी हमें उनके देश में नहीं आने देगी। हमें अवांछित घोषित कर देगी। क्योंकि प्रत्येक देश के अपने कानून होते हैं, आपको उनका आदर करना होता है। आप टूरिस्ट होते हुए ऐसे ही किसी देश की ज़मीन को बेचने नहीं निकल पड़ते।

आश्रम की ज़मीन बेचने की डील

यह नहीं हो सकता, यह हर देश में अकल्पनीय है। लेकिन भारत में हो रहा है। पश्चिमी देशों के दो-चार लोग जो यहाँ टूरिस्ट की भांति आते जाते हैं… कभी आश्रम के भीतर रहते हैं और कभी मुंबई की होटलों में… आश्रम का खर्चा चलाने के लिए यहाँ के अमीर लोगों को आश्रम की ज़मीन बेच देने का डील कर देते हैं, डील पर हस्ताक्षर करने के लिए भारतीय ट्रस्टियों को आगे कर देते हैं। यह केवल दिखावा होता है। और जांच के लिए अगर कोई पुलिस आश्रम के द्वार पर उनके संबंध में पूछने जाएगी तो मुख्य द्वार से ही उसे उत्तर मिल जायेगा कि यहाँ इस नाम का कोई व्यक्ति नहीं रहता है।

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